![]() भोजपुरी के संवैधानिक मान्यता और आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए "भोजपुरी जन जागरण अभियान" के बैनर तले राष्ट्र स्तर पर चलाया जा रहा भोजपुरी भाषा मान्यता आंदोलन के तहत आगामी 21 फरवरी 2018, दिन बुधवार को आठवाँ विशाल धरना प्रदर्शन का आयोजन अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष पटेल के नेतृत्व में दिल्ली के संसद मार्ग पर किया जायेगा। दिल्ली से एक प्रेस रिलीज के माध्यम से राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष पटेल ने जानकारी दी। |
![]() पूर्वांचल भोजपुरी समाज गाजियाबाद द्वारा बिंदास राष्ट्रिय भोजपुरी कवि सम्मलेन का भव्य आयोजन हुआ | कार्यक्रम का मुख्य अतिथि - श्री अजित दुबे अध्यक्ष भोजपुरी समाज रहे तथा कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि - श्री शिवजी जी ( अध्यक्ष पूर्वांचल एकता मंच ) एवं विशेष अतिथि के रूप में डिफेंडर के साहित्यिक संपादक एम् भोजपुरी जन जागरण अभियान के अध्यक्ष श्री संतोष पटेल जी रहे | संतोष पटेल ने अपने उद्घाटन भाषण में भोजपुरी को भोकल, लोकल और ग्लोबल विस्तार पर चर्चा किया एवं भोजपुरी आन्दोलन तब और अब पर प्रकाश डाला | |
![]() नई दिल्ली साऊथ वेस्ट जिला के इस्ट सागरपुर से डाबड़ी तक नाले को ढक कर बना सड़क आजकल पार्किंग में तब्दील हो गया है | यहाँ तक की साम के समय इस सड़क पर चलना भी दुस्वार हो गया है , साम के समय इस सड़क पर तिन जगह बाजार लगता है | बाजार में दूकान लगा रहे दुकानदारो का कहना है की पुलिस पैसा लेतीं है तो दुकान लगा रहे है कोई फ्री में थोड़े ही लगा रहे है | लेकिन ये बाजार और पार्किंग एक बड़े घटना के इंतजार |
![]() केंद्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने अनन्तनाग जिले में जम्मू कश्मीर पुलिस लाइन्स और सीआरपीएफ के शिविर का दौरा किया। उनके साथ राज्य के उप-मुख्यमंत्री डा. निर्मल कुमार सिंह और केंद्रीय गृह सचिव श्री राजीव गाबा भी उपस्थित थे। जम्मू-कश्मीर की यात्रा के दूसरे दिन श्री राजनाथ सिंह ने आज जम्मू कश्मीर पुलिस लाइन में निर्धारित बैठक से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर पुलिस गश्ती दल पर कल हुए आतंकी हमले में मारे गए हवलदार इम्तियाज अहमद को भावभीनी श्रद्धाञ्जलि दी। उन्होने पिछले महिने अनन्तनाग में हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए सहायक सब-इन्सपेक्टर अब्दुल रशीद को भी श्रद्धाञ्जलि अर्पित की। |
![]() पिछले ढाई-तीन महीने से भारत-चीन के बीच युद्ध जैसे हालात बने हुए थे। चीन बार-बार बंदरभभकी दे रहा था। याद दिला था 1962 की जंग को। लेकिन इस बार भारत के आत्म विश्वास और हौंसलों के आगे धूर्त चीन पस्त हो गया। उसने अपनी रेड आमी को वापस बैरक में भेजने का फैसला कर लिया। ये सुखद है। युद्ध के विचार को बौद्ध और गांधी का देश आगे नहीं बढ़ा सकता। लेकिन इस बार भारत आक्रामक मुद्रा में आ गया था। जैसा कि गोस्वामी तुलसी दास कहते हैं, 'समरथ को नहीं दोष गोंसाई। यानी अगर आप बलशाली हैं तो आपके दोष भी नेपथ्य में चले जाते हैं। |
![]() भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री राजीव गौबा (झारखंड कैडर-1982) ने आज केंद्रीय गृह सचिव का कार्यभार ग्रहण किया। श्री गौबा 27 जून,2017 को गृह मंत्रालय में विशेष कार्याधिकारी के रूप में शामिल हुए थे और श्री राजीव महर्षि की सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने केंद्रीय गृह सचिव का कार्यभार संभाला है। |
![]() सिवान जिला मुख्यालय से गोरेयाकोठी अंचल सह प्रखंड को अफराद से जोडनेवाली एक मात्र सड़क गोरेयाकोठी अफराद पथ जिसकी लम्बाई लगभग 14 किलोमीटर है | यह सड़क 1980 में बनने के बाद उपेक्षा का शिकार हो गया जो भी जनप्रतिनिधि इस क्षेत्र के लिए चुनकर आये सबने इस सडक से सौतेला व्यवहार किया | तंत्र के उपेक्षा के कारण धीरे धीरे इस सड़क की स्थिति गढ़ो में तब्दील होने लगी और यह सड़क अपने स्तीत्व की लड़ाई लड़ने लगी इस सड़क के किनारे बसे गाँव अपने |
![]() देशभर में सभी प्रकार की खानों कोयला, धातु और तेल में कार्यरत सभी व्यक्तियों के व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र सरकार के कार्यक्षेत्र में आता है। खानों में कार्यरत व्यक्तियों के व्यावसायिक संचालन सुरक्षा से संबंधित प्रावधान खनन अधिनियम 1952 में सम्मिलित हैं और इसके आधार पर नियम निर्धारित किए गए है। खान अधिनियमों के प्रावधानों और इसके अंतर्गत विधायी ढांचे के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी खान प्रबंधन की होती है। श्रम और रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत खान सुरक्षा के महानिदेशक समय-समय पर निगरानी और जांच द्वारा इसके अनुपालन का निरीक्षण करते हैं।खान |
![]() प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज 71वें स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली समस्त महान विभूतियों का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि देशवासियों को प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे परिवारों के साथ-साथ गोरखपुर में हुई त्रासदी से भी प्रभावित लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहना चाहिए। प्रधानमंत्री ने यह बात रेखांकित की कि वर्तमान वर्ष निश्चित तौर पर विशेष है, |
![]() हालांकि पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी स्वतंत्रता दिवस समारोह पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया तथा जन्माष्टमी जैसा महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व भी पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मना। परंतु इन दोनों ही महत्वपूर्ण ‘पर्वों’ पर इस बार गोरखपुर में हुई साठ से अधिक लोगों की असामयिक मौत का साया मंडराते हुए साफतौर पर देखा गया। इन मृतक लोगों में अधिकांश संख्या बच्चों की थी। हालांकि कुपोषण,गरीबी,कालाज़ार,जापानी बुखार तथा इंसेफ़लाईटिस जैसे रोगों से भारत में बच्चों की मौत होने का सिलसिला कोई नया नहीं है। निश्चित रूप से यह इस देश का दुर्भाग्य है कि अंतरिक्ष में छलांगे लगाने तथा देश की धरती पर बुलेट ट्रेन दौड़ाने की योजनाएं चलाने वाला हमारा देश अभी तक बच्चों के जीवन तथा उनके स्वास्थय की गारंटी नहीं दे सका है। परंतु इस बार गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में 60 से अधिक लोगों की मौत का जो मामला सामने आया है वह अपने-आप में पिछले वर्षों में हुई मौतों से अलग इसलिए है कि यह मौतें बीमारी से होने के बजाए केवल इसलिए हुईं कि |
जिस्म वो क्या जिस्म है, जिसमे न हो खूने जुनूँ दूर रह पाये जो हमसे, दम कहा मंजिल में है | वक्त आने पर बता देंगे तुझे ऐ आसमा , हम अभी से क्या बताये, क्या हमारे दिल में है | राम प्रसाद विस्मिल के इन्ही शब्दों को ध्ये मानते हुए भोजपुरी जन जागरण अभियान ने 09 अगस्त 2017 को दिल्ली के जंतर मंतर पर भोजपुरी भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए विशाल शांति पूर्ण धरना का आयोजन किया | भले ही भोजपुरियों का यह शांति पूर्ण धरना रहा लेकिन इस धरना ने शांति शांति में ही वर्त्तमान सरकार को झकझोर देने की नीव |
![]() भारतीय मीडिया का एक बड़ा वर्ग देश के लोगों को दिन-रात गुमराह करने में लगा रहता है। चाहे वह देश की अर्थव्यवस्था की बात हो, देश की रक्षा तथा उद्योग से जुड़े विषय हों, रोज़गार या मंहगाई संबंधी बातें हों या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय विदेश नीति से जुड़े मामले हों, हमारे देश का मीडिया प्राय: तिल का ताड़ बनाने में लगा रहता है। बुलेट ट्रेन हालांकि अभी भारत में आई भी नहीं है परंतु इस विषय पर भारतीय मीडिया में तरह-तरह के क़सीदे पढ़े जा चुके हैं। दिल्ली व आगरा के मध्य एक सेमी हाईस्पीड ट्रेन का ट्रायल किया जाता है तो उसकी ख़बर भी मीडिया द्वारा बार-बार दी जाती है। परंतु मीडिया भारतीय बाज़ारों से लेकर |
![]() आपातकाल के 1975-77 के दिनों को जहां कांग्रेस विरोधी दल लोकतंत्र की हत्या के दौर के रूप में याद करते हैं वहीं उन दिनों को मीडिया अथवा प्रेस का गला घोंटने के दौर के रूप में भी याद किया जाता है। 1977 में इंदिरा गांधी के अजेय समझे जाने वाले शासन को उखाड़ फेंकने में जहां स्वर्गीय इंदिरा गांधी की अनेक तानाशाहीपूर्ण बातें कारण बनीं वहीं प्रेस पर सेंसरशिप लगाया जाना भी इसका एक महत्वूपर्ण कारण था। मीडिया की ताकत का एक और रंग 2014 के पूर्व के दो वर्षों में देखा जा सकता है। उस समय देश का लगभग पूरा मीडिया यूपीए शासनकाल में होने वाले घोटालों को उजागर करने में तथा उनपर |
![]() वर्तमान स्थिति में राजनितिक पार्टियों को देखते हुए इसका परिभाषा बदल गया है अब मेरे नजरिये से इसका परिभाषा यूँ हो गया है की डेमोक्रेसी इज द गवरमेंट ऑफ़ द वोटर फॉर द सपोर्टर एंड बाई दी लोफर | अर्थात लोकतंत्र वोटरों का सपोटरों के लिए लोफरो द्वारा किया गया शासन हो गया है | ऐसी स्थिति में यही निष्कर्ष निकलता है की आज का लोकत्रंत में लोक की हत्या और तंत्र का शासन हो गया है | |
डूब मरो .......... |
चैम्पियन ट्राफी में भारत के करारी हार के बाद वहा के बोल न्यूज़ चैनल के एंकर ने भारत के प्रधानमंत्री के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग किया | एंकर ने प्रधानमंत्री को ही नहीं बल्कि भारतीय जनता को भी कोसने में सभी मर्यादाओं को पार कर दिया | एंकर ने भारतीय टीम की हार पर तंज कसते हुए कहा - |
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देश पर भारी बोझ मोदी का मन्त्रिमण्डल |
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राजनाथ सिंह ने अपने निवास पर रुद्राक्ष का पौधा लगाया |
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साँच बोलत बा का ? |
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